वाराणसी, 04 नवम्बर। कार्तिक मास का पवित्र स्नान… दीपों की रोशनी में चमकती गंगा… और श्रद्धा से भरे हजारों भक्तों का सागर। लेकिन इसी आस्था के माहौल
में सोमवार सुबह मीर घाट पर एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने हर किसी की सांसें थाम दीं। मध्य प्रदेश के शाजापुर से आए 85 वर्षीय वृद्ध श्रद्धालु गंगा स्नान के दौरान अचानक तेज धारा की चपेट में आ गए। देखते-ही-देखते उनका शरीर लहरों में डूबता-उतराता दिखाई देने लगा। आसपास मौजूद लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गहरे पानी की ओर बहने लगे। घाट पर शोर उठा— “बचाओ… कोई है क्या?” लेकिन तेज धारा और बढ़ती दूरी के बीच बचाव की उम्मीद क्षीण होती दिखाई दे रही थी।इसी बीच गंगा के बीचों-बीच गश्त कर रही एनडीआरएफ वाराणसी की टीम ने पानी में संघर्ष करते वृद्ध को देखा। बिना किसी विलंब के टीम ने आपातकालीन रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। गंगा की लहरों को चीरती मोटरबोट तेज रफ़्तार से उनकी ओर बढ़ी। कुछ ही क्षण में जवानों ने वृद्ध को पकड़ लिया और मजबूती से सहारा देकर नाव पर खींच लिया। किनारे पर लाते समय श्रद्धालु पूरी तरह थरथरा रहे थे और सांस पर नियंत्रण मुश्किल था। एनडीआरएफ कर्मियों ने प्राथमिक देखभाल कर उन्हें सुरक्षित तट पर पहुंचाया। मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं के दिल में क्षणभर के लिए सन्नाटा पसर गया था, लेकिन जैसे-ही वृद्ध सुरक्षित लौटे, घाट तालियों की गूंज से भर उठा। लोग भावुक हो उठे और एनडीआरएफ के साहस, तत्परता और कर्तव्यनिष्ठा को नमन किया। स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर एनडीआरएफ का दल समय पर ना पहुंचता तो आज घाट पर एक बड़ी त्रासदी हो सकती थी। कार्तिक मास जैसे भीड़भाड़ वाले काल में यह बचाव दल श्रद्धालुओं के लिए सच्चा प्रहरी बनकर खड़ा है।








